शुरू हुई चौदह कोसी परिक्रमा, आस्था के पथ पर नंगे पांव श्रद्धालु, कार्तिक मेला शुरू, गूंजी जय श्रीराम की ध्वनि

By: Shilpa Tue, 21 Nov 2023 2:40:02

शुरू हुई चौदह कोसी परिक्रमा, आस्था के पथ पर नंगे पांव श्रद्धालु, कार्तिक मेला शुरू, गूंजी जय श्रीराम की ध्वनि

अयोध्या। पुण्यसलिला सरयू रामनगरी को तीन ओर से घेरती है पर बुधवार को रामनगरी आस्था के प्रवाह से घिरी नजर आई। श्रद्धालु 14 कोस की परिधि में प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन रामनगरी की परिक्रमा करते हैं। एक वर्ष में परिक्रमा मार्ग को स्पर्श करती सरयू से काफी पानी गुजर जाता है पर परिक्रमा है कि युगों से अटूट है।

राम नगरी अयोध्या में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी पर चौदह कोसी परिक्रमा की शुरुआत हो गई है। सोमवार रात दो बजे से लाखों लोग आस्था के पथ पर नंगे पांव चल पड़े हैं। इस परिक्रमा के साथ यहां लगने वाला कार्तिक मेला भी शुरू हो गया है। इस मेले में चौदह कोसी परिक्रमा, पंच कोसी परिक्रमा और कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर लाखों लोग पहुंचते हैं।

परिक्रमा मेले में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ से सरयू घाट गुलजार रहा। राम सियाराम, सियाराम जय जयराम... की ध्वनि घाटों पर गूंज रही थी। सरयू में स्नान करने के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही। बड़ी संख्या में भक्तों ने सरयू घाट से परिक्रमा का शुभारंभ किया जिनकी परिक्रमा पूरी होती गई वे सरयू में स्नान को भी पहुंचे। सरयू घाटों पर पुलिस लाउडस्पीकर के जरिए श्रद्धालुओं को गहरे पानी में न जाने की हिदायत भी देती रही।

चौदह कोसी परिक्रमा की शुरुआत

अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा का शुभ मुहूर्त 20 नवंबर सोमवार रात 2.09 बजे का था, लेकिन श्रद्धालुओं में इतना उत्साह था कि उन्होंने एक बजे से ही परिक्रमा शुरू कर दी। इस मौके पर बड़ी संख्या में राम भक्त पहुंचे थे। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगती चली गई है। सुबह होते-होते यहां हजारों लोग जय श्री राम के उद्घोष के साथ पहुंचने लगे।

श्रद्धालुओं ने समय से पहले ही नंगे पांव अपनी यात्रा शुरू कर दी। लोग टैक्टर ट्रालियों और गाड़ियों में भर-भरकर पहुंचने लगे। परिक्रमा को लेकर भक्त इतने उत्साहित थे कि वो मंडलियों में भजन कीर्तन करते हुए चलते दिखाई दिए। इनमें महिलाएं, बच्चे, बड़े-बुजुर्गों समेत तमाम लोग शामिल थे।

प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद

चौदह कोसी परिक्रमा के लिए प्रशासन की ओर से भी बड़े स्तर पर तैयारियां की गई हैं। पूरे मेला क्षेत्र को पांच जोन में विभाजित किया गया है। नया घाट इलाके में कंट्रोल रूप बनाया गया है, जहां से आला अधिकारी मंडलायुक्त गौरव दयाल, डीएम नितीश कुमार, आईजी और एसएसपी पूरे मेला क्षेत्र पर नजर बनाए हुए हैं।

परिक्रमा स्थल पर जगह-जगह श्रद्धालुओं के खाने-पीने का इंतजाम किया गया है। सेवा शिविर लगाए गए हैं, ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो। जलपान से लेकर चिकित्सीय सुविधा के भी इंतजाम किए गए हैं। पूरे परिक्रमा मार्ग पर दुकानें सज गईं हैं। कहते हैं कि चौदह कोसी परिक्रमा करने से सारी मन्नतें पूरी होती हैं। यही वजह है कि इसमें बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

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लगे जय श्रीराम के जयकारे

14 कोसी परिक्रमा के मुहूर्त से पूर्व ही जय श्रीराम के जयकारे के साथ भक्तों ने परिक्रमा शुरू कर दी। नाका हनुमानगढ़ी से बड़ी संख्या में भक्तों ने परिक्रमा का आगाज किया। नाका हनुमानगढ़ी में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही। पिछले दो वर्षों से कोरोना के चलते रामनगरी के पर्व-त्योहार प्रभावित रहे। कार्तिक परिक्रमा मेला भी इससे अछूता नहीं रहा। किसी तरह कोविड प्रोटोकाल के बीच परिक्रमा की परंपरा का निर्वहन होता रहा पर बाहरी श्रद्धालुओं पर रोक के चलते बहुत सारे भक्तों की परिक्रमा करने की कड़ी टूट गई थी। इस वर्ष फिर से नए उत्साह व जोश के साथ लाखों श्रद्धालु परिक्रमा के जरिए पुण्यार्जन को अयोध्या उमड़ चुके हैं।

अयोध्या, दर्शननगर, भीखापुर, देवकाली, जनौरा, नाका हनुमानगढ़ी, मोदहा, सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर, सहादतगंज, अफीम कोठी आदि स्थानों से श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति की रौ में परिक्रमा शुरू कर दी। जय श्रीराम के उद्घोष व सीताराम नाम की धुन के बीच परिक्रमार्थी परिक्रमा पथ को नंगे पांव नापते नजर आए। महिला, पुरूष, बच्चे, वृद्ध भी पुर्ण्याजन करते दिखे तो साधु-संतों की टोली हरिकीर्तन करती परिक्रमा पथ पर आगे बढ़ती रही।

मंगलवार रात शुरू हुई परिक्रमा का प्रवाह शाम होते-होते और सघन हो गया। पूरी रात श्रद्धालुओं ने परिक्रमा की। परिक्रमा बुधवार की रात 10:33 बजे तक चलेगी। श्रद्धालुओं की सेवा के लिए जगह-जगह सेवा शिविर भी लगे हुए थे। जलपान से लेकर चिकित्सा के पूरे इंतजाम परिक्रमा पथ पर खूब दिखे। आस्था के पथ पर चल रहे श्रद्धालुओं की सेवा करने के लिए भी हजारों हाथ उठे हुए मिले। दर्द निरोधक दवाएं और मलहम हाथों में लिए सेवा शिविरों में लोग खड़े थे।

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